छत्तीसगढ़ Sarguja

वन विभाग की मौन सहमति आखिरकार क्यों...? क्या दलालों पर विभाग का है भरपूर संरक्षण

by admin on | Dec 19, 2024 05:31 PM

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वन विभाग की मौन सहमति आखिरकार क्यों...? क्या दलालों पर विभाग का है भरपूर संरक्षण

वन विभाग की मौन सहमति आखिरकार क्यों...? क्या दलालों पर विभाग का है भरपूर संरक्षण...!

DFO एवं रेंजर की लापरवाही विभाग पर भारी, स्वयं के कैम्पस से चन्दन के पेड़ काट लें गए तस्कर तों कही अवैध रूप से आरा मिलो का हो रहा संचालन…!

सरगुजा - सरगुजा में लगभग- लगभग हर विभाग में बदहाली और भ्रष्टाचार का आलम व्याप्त रूप से अपना पांव पसार रहा हैं और लागातार कई तरह के अवैध कारोबारों पर सम्बंधित विभाग के अफसरों का गैर कानूनी एवं अवैध रूप से संचालित करने वाले कार्यों के दलालों पर विभाग का भरपूर संरक्षण मिलता हैं इस तरह का एक मामला प्रकाश में आया हैं की अंबिकापुर शहर में गैरकानूनी तरीके से आरा मिलों का संचालन एवं अवैध रूप से वनों की अवैध कटाई धड़ल्ले से हो रही हैं परंतु वन विभाग के जिम्मेदार अफसर मूकदर्शक बने हुए हैं जिससे ऐसा प्रतीत होता हैं की इन अवैध रूप के कार्यों के संचालन में सम्बंधित विभाग की ही मौन स्वीकृति हैं जिससे जम का नियमों की धज्जियाँ उक्त दलालों के द्वारा उड़ाई जा रही हैं। बता दें की अभी कुछ दिन पहले ही वन विभाग के कैम्पस से ही तस्करो द्वारा चन्दन के पेड़ कों काट कर लें जाया गया और विभाग के आला अफसर से लेकर तमाम स्टॉफ सिर्फ हाथ में हाथ धरे बैठें रह गऐ इस तरह की घोर लापरवाही विभाग के बेतुके कारनामो कों उजागर करता हैं जिस हिसाब से शहर में नियम को ताक पर रख कर गैर कानूनी तरीके से आरा मिलों का संचालन किया जा रहा है उससे ऐसा प्रतीत होता हैं की विभाग इस तरह के अवैध आरा मिलो के संचालन पर लगाम लगाने में असफल हैं ।

अवैध रूप से आरा मिलो के संचालन से सरकारी राजस्व को क्षति तो पहुंच ही रही है, वनों की अवैध कटाई भी धड़ल्ले से की जा रही है। हरे-भरे पेड़ बिना रोक-टोक के काटे जा रहे हैं। हर साल वन विभाग लाखों पेड़ लगाने का दावा करता है, लेकिन काटे गए पेड़ों के ठूंठ देखने की इन्हें फुर्सत नहीं है। एक सप्ताह पूर्व अंबिकापुर में लकड़ी मिल और बगल में ही एक गोदामनुमा मकान से करीब 25 लाख रुपये की अवैध लकड़ी जब्त की गई थी, फिर भी नगर निगम क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध आरा मिल का संचालन सांठगांठ से हो रहा है। अवैध आरा मिल की संख्या दर्जन भर से अधिक है, इनके संचालकों की नजर जंगल के बेशकीमती हरे-भरे पेड़ों पर रहती है। इसके बाद जंगल से अवैध तरीके से काटे गए हरे पेड़ों पर आरा चल जाता है।

सूत्रों की मानें तो बिलासपुर चौक में स्थित चौधरी आरा मिल का संचालन कुटीर उद्योग के रूप में किया जा रहा है, जहां जंगल से काटे गए हरे पेड़ों की चिराई कर विभिन्न तरह के फर्नीचर तैयार किए जाते हैं। तैयार किए गए फर्नीचर को मांग के अनुसार बताए गए स्थान पर तस्करों द्वारा खपा दिया जाता है। विश्वस्त सूत्रों का यह भी कहना है कि कुछ लोग शहर में लकड़ी के फर्नीचर तैयार करने का लाइसेंस ले रखे हैं। इन्हें वन विभाग के द्वारा आरा मिल संचालन की सुविधा दी गई है, इसके आड़ में धड़ल्ले से वन अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुए बड़े आरा मिलों का संचालन हो रहा है। इसका नतीजा है कि प्रतिदिन हजारों हरे पेड़ों की कटाई लकड़ी माफिया कर रहे हैं ।

सूत्रों की माने तों बिलासपुर चौक में स्थित चौधरी आरा मिल में भारी मात्रा में प्रतिबंधित प्रजाति के फलदार और औषधि वृक्ष का भी चिरान किया जाता है। यही नहीं मिल के प्रांगण में बिना किसी वैध लाइसेंस के कटर मशीन, बरमा ड्रिल, टेयरिंग मशीन का संचालन किया जा रहा है, जिसमें वन विभाग की भी मौन सहमति है। इतना ही नहीं इस आरा मिल के संचालक द्वारा काष्ठ चिरान अधिनियम 1984 का उल्लंघन किया जा रहा है। मिल में प्रतिबंधित लकड़ियों के आवक-जावक रजिस्टर का कभी संधारण भी नहीं किया जाता है।

यही नहीं मिल के प्रांगण में बिना किसी अनुमति के अवैध मशीन का संचालन किया जा रहा है। ऐसे मामलों की खबर ऐसा नहीं है वन विभाग के जिम्मेदारों को नहीं होगी, लेकिन इनके द्वारा भी ऐसे मामलों में हाथ डालने का ईमानदार प्रयास नहीं किया गया है। देखना यह है मामला संज्ञान में आने के बाद वन विभाग क्या उठाता है।

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