by admin on | Jun 16, 2024 01:08 PM
नई दिल्ली: देश की शीर्ष शिक्षा संस्था एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने अपनी किताबों में किए गए हालिया बदलावों को लेकर बयान दिया है। किताबों के बदलावों को लेकर उठे विवाद के बीच एनसीईआरटी के निदेशक ने कहा कि घृणा और हिंसा शिक्षा के विषय नहीं हैं और स्कूली किताबों में इन पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए। बता दें एनसीईआरटी की किताबों में बाबरी मस्जिद विध्वंस और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व वाली राम रथ यात्रा के संदर्भों को हटा दिया गया है।
एनसीईआरटी की किताबों में किए गए बदलाव के मद्देनजर कई सवाल भी उठे। ऐसे आरोप भी लगे की स्कूल के बच्चों की किताबों का भगवाकरण किया जा रहा है। इस बारे में बोलते हुए एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा, "पाठ्यक्रम का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं है, पाठ्यपुस्तकों में सभी परिवर्तन साक्ष्य और तथ्यों पर आधारित हैं।" एनसीईआरटी की किताबों में बाबरी मस्जिद विध्वंस और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व वाली राम रथ यात्रा के संदर्भों को हटाए जाने के सवाल पर सकलानी ने कहा, "हमें छात्रों को दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए, हमारा उद्देश्य बच्चों को हिंसक, अवसादग्रस्त नागरिक बनाना नहीं है।" सकलानी ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों में संशोधन एक वैश्विक प्रथा है, यह शिक्षा के हित में है। किताबों में बदलाव के बारे में जोड़ते हुए सकलानी कहते हैं कि यदि कोई चीज अप्रासंगिक हो जाती है, तो उसे बदला ही जाता है।
गुजरात दंगों से संबंधित संदर्भों को हटाए जाने पर एनसीईआरटी निदेशक ने कहा, "घृणा और हिंसा स्कूलों में पढ़ाने का विषय नहीं है, पाठ्यपुस्तकों में इन पर जोर नहीं दिया जाना चाहिए। विद्यालयों में इतिहास तथ्यों से अवगत कराने के लिए पढ़ाया जाता है, न कि इसे युद्ध का मैदान बनाने के लिए। इसके अलावा पाठ्यपुस्तकों में संशोधन विषय विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है, मैं प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता।"